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1974 was the 300th anniversary of the coronation of Chhatrapati Shivaji Maharaj. The Maharaja Shivchatrapati Pratishthan planned a grand celebration to mark this historical event. Another popular element of Shivsrushti was a 22 min long musical re-enactment of the Coronation of Chhatrapati Shivaji Maharaj. Almost 100 artists performed this pre-recorded historical musical drama. It was the first successful experiment of this kind in Marathi theatre. Its music was composed by veteran music director Shri V
The Broadway Theatre or Operas in western countries are greatly discussed and appreciated across the globe and have the power of drawing huge crowds. But, how many Indians are aware of one such musical mega opera that is continually playing for more than three decades, in India too?
शिवाजीराजे के नाम का सिक्का बन गया | राजमुद्रा भी तैयार हुई | पुणे के लाल महल से राजमुद्रांकित आज्ञापत्र जारी होने लगे | राजे की मुद्रा संस्कृत भाषा में बनाई गई थी | लिखा था,
शिवाजीराजे और जिजाऊसाहब को शहाजीराजे ने पुणे जागीर का प्रबंध देखने पुणे भेजा | इस समय राजे सात साल के थे | पुणे में मालोजीराजे की पहले कोठियाँ थीं | लेकिन आदिलशाही सेना ने इ. स. १६३० में पुणे को तहस-नहस कर डाला | और उसी वक्त पुणे में गधे का हल चलाया | सुन्दर पुणे शहर को भयावह शमशान घाट में तब्दील किया |
आदिलशाही फ़ौज ने पुणे परिसर को रौंद डाला था | लेकिन जब से जिजाऊसाहब और राजे पुणे में आए थे, तब से पुणे के भाग्य ने करवट ली थी | जिजाऊसाहब के सुघड़ हाथ उसे सँवारने लगे थे | इस छोटी सी जागीर का कारोबार शिवाजीराजे के नाम से शुरू हुआ | उजड़े हुए परिसर को फिर से बसाने के लिए उन्होंने लोगों का हौसला बढाया | खेती की पैदावार बढ़ाने के लिए जरुरतमंदों को हल, बैल, मोट, रस्से, बीज आदि सभी तरह की सहायता की | जहाँ बादशाह ने गधे का हल चलाया था वहीँ पर शिवाजीराजे ने सोने के फाल वाले हल से चार गज जमीन जोती | शिवाजीराजे ने भक्ति